Thursday 17 September 2015

Happy Birthday मोदी: आम आदमी से PM की कुर्सी तक की पूरी कहानी


भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है. आज नरेंद्र मोदी 65 वर्ष के हो चुके है. इनका जन्म गुजरात तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में 17 सितंबर 1950 में हुआ था. लेकिन एक आम आदमी रहने के बाद नरेंद्र मोदी पीएम की कुर्सी तक कैसे पहुंचे. पढ़े इनकी जिंदगी का पूरा सफर कैसे एक आम आदमी पीएम की कुर्सी तक पहुंचा.


भारतीय सैनिकों को पिलाई चाय
भारत पाकिस्तान के बीच दूसरे युद्ध के दौरान स्टेशनों पर सफ़र कर रहें सैनिकों की चाय पिला कर सेवा की. रेलवे स्टेशन पर पिता चाय का बेचते थे. मोदी स्कूल के बाद सीधा स्टेशन पर पिता की चाय की दुकान पर पहुंच जाते थे और ग्राहकों को चाय बेचते थे. इसी दौरान वे रेल के डिब्बों में चाय बेचने का भी काम करते थे.

मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ कर लाए घर
नरेंद्र अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे जहां से वह एक मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ कर घर ले आए. उनकी मां हीरा बाई ने उनसे कहा कि इसे वापस सरोवर छोड़कर आओ. अगर बच्चे को यदि कोई मां से अलग कर दे तो दोनों को ही परेशानी होती है. मां की ये बात नरेंद्र को समझ आ गई और वो उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ आए.

13 साल की उम्र में मोदी की सगाई
13 साल की उम्र नरेंद्र मोदी की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गई थी और जब विवाह हुआ तब वह मात्र 17 वर्ष के थे. उन दोनों की शादी जरूर हुई लेकिन वे दोनों कभी एक साथ नहीं रहे. शादी के कुछ सालों बाद नरेंद्र मोदी ने घर छोड़ दिया और एक प्रकार से लगभग उनका वैवाहिक जीवत खत्म हो गया.

18 साल की उम्र में छोड़ा घर
नरेंद्र मोदी जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में रोज दो बार जाते थे. 18 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी ने दो साल के लिए घर छोड़ दिया, कहा जाता है कि ये समय मोदी ने हिमालय में बिताया.


संघ हमेशा प्राथमिकता रहीं
नरेंद्र मोदी संघ के मुख्यालय नागपुर पहुंचने के बाद 1970 में संघ के पूर्ण प्रचारक बन गए थे. नरेंद्र हमेशा संघ को प्राथमिकता देते थे. परिवार को मोदी के दर्शन कभी कभार ही होते थे. जब उनके पिता कैंसर से जूझ रहे थे इसी दौरान लंबे समय बाद मोदी घर पहुंचे थे. हीराबेन ने बरसों मोदी को नहीं देखा, बीते कुछ सालों में भी वो उन्हें टीवी पर देखती रहीं. लेकिन जीत के बाद हीराबेन पहली शख्स थीं जिससे मोदी मिलने गए.


2001 में बने मुख्यमंत्री
90 के दशक में मोदी ने खुद को चुनावी राजनीति से दूर रखा. वो संगठन में रहकर BJP को गुजरात चुनाव जिताने के लिए काम करते थे. स्वर्ण जयंती यात्रा के दौरान वो आडवाणी के सारथी थे. इसी दौरान कुशल प्रशासक और संगठनकर्ता छवि बन गई, जिसकी वजह से साल 2001 में भूकंप राहत कार्य में केशुभाई सरकार की नाकामी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. मुख्यमंत्री बनने से पहले चुनाव लड़ने का तजुर्बा नहीं था.

2014 में बनें 15वें प्रधानमंत्री
2002, 2007, और 2012 में लगातार जीत हासिल कर गुजरात के मुख्यमंत्री बन कर नरेद्र मोदी ने इतिहास रच दिया. यह सिलसिला 2014 के आम चुनावों में खत्म हुआ जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्रा पद के उमीदवार बनें. 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की. और फिर एक बार उन्होंने NDA के नाम इतिहास दर्ज कर दिया.

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के 5 अच्छे काम


मेक इन इंडिया में मजबूती
नरंद्र मोदी के इस कार्यक्रम के तहत देशवासियों को कारोबार करने की एक सुगम प्रगति मिली. मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है. घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को मूल रूप से एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का वायदा किया गया है. ताकि 125 करोड़ की आबादी वाले मजबूत भारत को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित करके रोजगार के अवसर पैदा हों. इस ऐतिहासिक पहल में दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने की इच्छूक है.

विदेशी निवेश को प्रोत्साहन
मोदी सरकार ने अपना कार्यभार संभालते ही पहला काम जो किया वो है विदेशी निवेश को बढ़ावा. पीएम मोदी पद संभालने के बाद 1 साल में 25 देशों की यात्रा कर चुके हैं. इन देशों में भूटान, नेपाल, जापान, अमेरिका, म्यामांर, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, सेशल्स, मॉरिशस, श्रीलंका, सिंगापुर, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, चीन, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, बांग्लादेश, उज्बेकिस्तान, कजाखस्तान, रूस, तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान की यात्राएं शामिल हैं. इस दौरान उन्होंने विदेशी निवेशकों को भारत में व्यापार और निवेश के लिए आमंत्रित किया ताकि भारत में लोगों को रोजगार मिले. साथ ही उनकी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के साथ विदेशी नीति स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आई.

स्वच्छ भारत अभियान
मोदी सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सराहना मिली. 2 अक्टूबर 2014 में महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर ये अभियान आरंभ किया गया. इस अभियान का उद्देश्य गलियों, सड़कों को मिला कर समूचे भारत को साफ-सुथरा करना है. इस मिशन का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को निशाना बनाते हुए 2.5 लाख समुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय, और प्रत्येक शहर में एक ठोस कूड़ास्थल प्रबन्ध कराना. इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना. पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा. यह कार्यक्रम पाँच साल अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा.

प्रधानमंत्री जनधन योजना
मोदी सरकार द्वारा चलाई गई जनधन योजना भी देश के विकास के क्षेत्र में अच्छा कदम है. इस योजना के तहत 67 सालों देशभर में जिनके पास किसी भी तरह की बैंकिंग सेवा उपलब्ध नहीं है उन सभी को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना और हर परिवार का बैंक खाता खोलना है. इस योजना की घोषणा 15 अगस्त 2014 को तथा इसका शुभारंभ 28 अगस्त 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. कुछ ही महीनों में 15 करोड़ बैंक खाते खोले गए. और रिकॉर्ड 1,25,697 बैंक मित्र (बैंक कॉरस्पान्डेंट) इस काम में लगाए गए. इन खातों के द्वारा हर खाता धारक को 6 महीने बाद रुपए 5000 की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बैंक खाते और एक लाख रुपए के अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर के साथ  डेबिट कार्ड और किसान कार्ड सुविधा प्रदान किया जाता है.

सांसदों की आदर्श ग्राम योजना
सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना तहत सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में किसी एक गांव को गोद लेना होगा और उसे एक मॉडल गांव के रूप में विकसित करना होगा. इससे सांसदों को किसी विशेष स्कीम से ऊपर उठकर अपने संसदीय क्षेत्र में पूरी तरह विकास करने की प्रेरणा मिली. विभिन्न रेटिंग एजेंसी और थिंकटैंक के मुताबिक NDA सरकार के तहत अगले कुछ सालों में भारत का विकास तेजी से होगा.

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