Tuesday 21 February 2017

T-20 प्यार वाले नहीं समझते जज्बात, धोखा देना इनके लिए होती है आम बात




लड़कपन और टी-20 श्रेणी (एक को छोड़ कर दूसरे को पकड़ना) वाला प्यार अक्सर धोखा देता है क्योंकि फटाफट सब कुछ पाने की चाह जज्बातों का खून कर देती है। ऐसे प्यार की रंगभूमि में पिचें बदलती रहती हैं और खिलाड़ी भी, लिहाजा इस अहसास में वफादारी की उम्मीद मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं कहला सकती है। नई पीढ़ी के अधिकांश युवा प्यार के चक्कर में पड़कर अपना काफी नुकसान कर लेते हैं और जब उन्हें वफा के बजाए जफा मिलती है तो दर्द असहनीय होता है। ऐसे छड़े हुए बेवकूफ दिलजले सिर्फ यही कह पाते हैं कि

जख्मों पर मरहम लगाने की नौबत भी नहीं आई
ऐसी चोट उसने दी कि दिल से आह भी नहीं आई........

देश के अधिकांश युवा और युवतियां प्यार में धोखा खा रहे हैं...। दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंटरनेट की दुनिया में अब प्यार कपड़ों सरीखा हो चला है, वैसे भी आज के दौर के कुछ युवाओं की प्यार को लेकर सोच है उस पर आचार्य चाणक्य बरसों पहले खूब कह चुके हैं कि .....   
होता क्या है प्यार.. एक ऐसी मादकता, एक ऐसा नैतिक नशा, जिसमें डूबकर आस-पास का सारा सत्य निरर्थक लगने लगता है.. और व्यक्ति जिससे प्यार करता है.. उसे उसी में सारे अर्थ दिखने लगते हैं... बुद्धि स्थिर हो जाती है... वह जागते में स्वप्न देखने लगता है... जबकि समय की मांग ये है... कि वह अपना हर पग फूक फूक कर रखे...

प्यार में दिमाग स्थिर नहीं रख पाते प्रेमी:
समझदार लोग कहते हैं कि अगर किसी को प्यार करना ही है तो वह पहले सामने वाले को भली भांति जान ले... जो प्यार... वर्षों से संजोए सपने और अपने व्यक्तित्व को नष्ट कर दे वो प्यार प्यार नहीं... भूल है, अपराध होता है। 

व्यक्ति (लड़का/लड़की) की भूल होती है कि वह जिससे प्यार करता है उसे भलि भांति जानता है, पहचानता है... मगर वही प्यार उसे धोखे के रूप में ऐसा दर्द दे जाता है... जिससे निकलने में मनुष्य फिर प्यार करने निकल पड़ता है और फिर उसी धोखे का दंश झेलता है।

धोखा किसी को बर्दाश्त नहीं, हर कोई इसे लेकर भावुक हो जाता है... बदलते वक्त में आजकल प्यार का खोना, धोखा मिलना एक आम बात हो गई है... लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि धोखा मिलने के बाद इंसान अपने आप को कितना बदल पाता है... क्या वह फिर धोखे की राह पर चलता है या फिर अपने लक्ष्य की ओर अपना रुख करता है। इतिहास गवाह है जिसने भी प्यार में धोखा खाया या तो वह बरबाद हुआ... या फिर इतना आबाद हुआ कि हर मंजिल की राह ने उसके कदम चूमे..

ऐसा ही उदाहरण मैं एक ऐसे व्यक्ति का देना चाहूंगा... जिसने प्यार में बहुत कुछ खोया... किसी ने उसके जख्मों पर इतने मरहम लगा दिए कि उसे यह भी नहीं पता चला कि हर मरहम पर उसे जख्म ही मिल रहे थे... उन जख्मों ने आज उसे पत्थर बना दिया... अब वह इतना सख्त पड़ चुका है कि उसे उसके सही लक्ष्य की तरफ मोड पाना अब नामुमकिन है।

Tuesday 31 January 2017

पैसा नहीं, इंसान कमाता है जोधपुर का टैलेंट!



मानता हूं यह पहले नहीं जान पाया, कौन सी प्रतिभा छुपी थी उसमें... कुछ वक्त गुजरा तो सिद्ध होने लगा, उसमें एक अनूठी कल्पना है। दूर से मंजिल उसे इशारा कर रही है, कुछ बोल रही है... वो भी उस मंजिल की गूंज सुन सिहर उठी है। तभी वह अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ी… यह सिद्ध करने कि ‘कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता, जीतता वही है जो डरा नहीं होता।’ क्या गीत, क्या एंकरिंग और क्या चित्रकारी... ये प्रतिभाएं ऐसी हैं, जो भी उसमे देख ले वो सम्मोहित हो जाए। अगर मैं अपने शब्दों में कहूं तो बस इतना कहूंगा... “जिसकी धुन पर दुनिया नाचे ये वो एक सितारा है... झूम उठेगी सारी दुनिया ऐसा टैलेंट तुम्हारा है।“

पैसा हर कोई कमाता है लेकिन ये जोधपुर (राजस्थान) का वो टैलेंट है जो इंसान कमाता है। मैं ऐसा इसलिए मानता हूं क्योंकि जिसका टैलेंट मैंने देखा है उसका मन पैसों के मोह में उलझना नहीं चाहता, बल्कि वह खुद की लोगों के बीच एक अलग पहचान बनाना चाहती है। तीसरी मुलाकात में जितना भी उसे जाना... उसकी आंखों में... खुद के सपने थे, जीवन में कुछ कर दिखाने की चाह थी और लोगों के प्रति स्नेह-उल्लास की भावना थी।

मेहनत, हिम्मत और लगन ऐसी कि मानों उसके रास्ते के पत्थर किसी को हटाने की जरूरत नहीं। खुद में इतना दम रखती है... ‘जिस काम में दिल लगा ले उसे वह सोना बना दे।’ मेरे बोल भले ही बड़े लग रहे हो लेकिन जोधपुर की उन गलियों में जाकर देखों... जहां की हर राह यह कहती है... “इस लड़की की आवाज़ ही इसकी पहचान है।“

आज यहां जो भी इसे सुनता है या देखता है उसके मन में एक आस ऐसी जरूर होगी... ‘स्वर, पद और ताल का मिलन अगर देखने जाओ, तो इसकी में आवाज में खो जाओ।’ मैं उन मां-बाप के आदर्शों को प्रणाम करता हूं जिन्होंने बेटी को ऐसी सर्वगुण संपन और निस्वार्थ होने की प्रेरणा दी है।